उसकी झोली के सारे दुख मेरी झोली में पड़े रहे। उसकी झोली के सारे दुख मेरी झोली में पड़े रहे।
नहीं रखना चाहती किसी से अपनी रक्षा की उम्मीदें मैं अपनी अंगरक्षक खुद बनना चाहती हूँ नहीं रखना चाहती किसी से अपनी रक्षा की उम्मीदें मैं अपनी अंगरक्षक खुद बनना...
अपने मान और मर्यादा की खातिर तुमने जाने से इन्कार किया, तुम्हारे अनंत दुख से द्रवित अपने मान और मर्यादा की खातिर तुमने जाने से इन्कार किया, तुम्हारे अनंत दुख ...
कुछ लोग ऐसे भी देखे है हमने झुके हुए कंधे और खुश्क हुए होंठ कुछ लोग ऐसे भी देखे है हमने झुके हुए कंधे और खुश्क हुए होंठ
दो फुट की चटाई में मैं कैसे सिमटकर सोता हूं।। दो फुट की चटाई में मैं कैसे सिमटकर सोता हूं।।
बोझ को अगर हल्का करना है तो उससे दोस्ती कर लो। बोझ को अगर हल्का करना है तो उससे दोस्ती कर लो।